Sunday, July 24, 2016

मालिक तेरा शुक्र है,शुक्र है..लाख लाख शुक्र है।

एक फ़क़ीर था।उसके दोनों बाज़ू नहीं थे। उस बाग़ में मच्छर भी बहुत होते थे। कई बार देखा उस फ़क़ीर को। आवाज़ देकर , माथा झुकाकर वह पैसा माँगता था। एक बार किसी ने उस फ़क़ीर से पूछा - " पैसे तो माँग लेते हो , रोटी कैसे खाते हो ?
"उसने बताया - " जब शाम उतर आती है तो उस किसी माता को पुकारता हूँ , ' ओ माता जी ! आके पैसे ले जा , रोटियाँ दे जा। ' वह भीखके पैसे उठा ले जाती है , रोटियाँ दे जाती है।
फिर पूछा - " खाते कैसे हो बिना हाथों के ? "वह बोला - " खुद तो खा नहीं सकता। आने-जानेवालों को आवाज़ देता हूँ ' ओ जानेवालों ! मालिक तुम्हारे हाथ बनाए रखे , मेरे ऊपर दया करो ! रोटी खिला दो मुझे , मेरे हाथ नहीं हैं। ' हर कोई तो सुनता नहीं , लेकिन किसी-किसी को तरस आ जाता है। वह प्रभु का प्यारा मेरे पास आ बैठता है। ग्रास तोड़कर मेरे मुँह में डालता जाता है , मैं खा लेता हूँ।
"सुनकर दिल भर आया। फिर पूछ लिया - " पानी कैसे पीते हो ? "उसने बताया - " इस घड़े को टांग के सहारे झुका देता हूँ तो प्याला भर जाता है। तब पशुओं की तरह झुककर पानी पी लेता हूँ।
" यहाँ मच्छर बहुत हैं। यदि मच्छर लड़ जाए तो क्या करते हो ? "वह बोला - " तब शरीर को ज़मीन पर रगड़ता हूँ। पानी से निकली मछली की तरह लोटता और तड़पता हूँ।
"हाय ! केवल दो हाथ न होने से कितनी दुर्गति होती है !अरे , इस शरीर की निंदा मत करो ! यह तो अनमोल रत्न है ! रोज़ आईने मे देख कर हम अपने शारीर की कैसे निंदा करते हैं- मैं मोटी हूँ, मैं पतली हूँ. काश मैं गोरा होता , काश मेरी नाक ऐसी होती, वैसे होती आदि . शरीर का हर अंग इतना कीमती है कि संसार का कोई भी खज़ाना उसका मोल नहीं चुका सकता।
परन्तु यह भी तो सोचो कि यह शरीर मिला किस लिए है ? इसका हर अंग उपयोगी है। इनका उपयोग करो !स्मरण रहे कि ये आँखे पापों को ढूँढने के लिए नहीं मिली हैं । जीभ बुराई करने के लिए नहीं है, कान निंदा सुनने के लिए नहीं मिले।हाथ दूसरों का गला दबाने के लिए नहीं मिले।यह मन भी अहंकार में डूबने या मोह-माया में फँसने को नहीं मिला।
ये आँख हर इंसान मे भगवन को खोजने के लिये मिली है ।ये हाथ सेवा करने को मिले हैं।ये पैर उस रास्ते पर चलने को मिले है जो किसी मजबूर इंसान तक पहुंचाए ।ये कान अच्छा सुनने को मिले है।ये जिह्वा अच्छे का गुण गान करने को मिली है।ये मन उस मालिक का लगातार शुक्र और सुमिरन करने को मिला है। जो मिला है उस मे खुश रहो. जो आपके पास है, कोई उसके लिए भी तरसता है.
मालिक तेरा शुक्र है,शुक्र है..लाख लाख शुक्र है।

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