Thursday, July 28, 2016

क्रूर राजा

पुराने समय की बात है, एक राज्य का राजा बहुत अमीर था। उसके राज्य में बहुत से नौकर काम करते थे। स्वभाव से वह राजा बहुत ही क्रूर इंसान था। जिस किसी से भी गलती हो जाती थी, वह उसके प्राण लेने में देर नहीं लगता था। राजा ने अपने राज्य में अपने लिए 10 जंगली खूंखार कुत्ते पाल रखे थे। वह उन कुत्तो का प्रयोग तब करता जब राज्य में किसी से कोई गलती हो जाती थी। जिससे गलती होती थी, उसे उन खूंखार कुत्तो के सामने फेक दिया जाता था।
एक समय की बात हैं, राजा के एक अनुभवी और विश्वासपात्र मंत्री से एक छोटी सी गलती हो गयी। उसकी गलती बहुत छोटी सी थी, परन्तु राजा का स्वभाव बहुत ही क्रूर था, वह छोटी से छोटी गलती में सजा देता ही था। यही कारण था, कि वह अपने अनुभवी और विश्वासपात्र मंत्री की भी छोटी सी गलती को बर्दाश्त नहीं कर पाया। उसने अपने उस मंत्री को भी खूंखार कुत्तो के सामने फिंकवाने का हुक्म सुना दिया।
राज्य के नियमो के अनुसार मंत्री को कुत्तो के आगे फेकने से पहले उसकी अन्तिम इच्छा पूछी गयी। मंत्री राजा के समीप गया, और राजा के सामने हाथ जोड़ते हुए बोलामहाराज! मैं आपके राज्य में दस सालो से आपकी सेवा कर रहा हूँ, मैने आपका नमक खाया हैं, अगर आप,,,,,,,,
राजा ने उसकी बात बीच में रोकते हुए कहां- ,तुम सही कह रहे हो, परन्तु मुझे यह बात याद दिलाकर तुम अपने द्वारा की गई गलती की सजा से बच नहीं सकते।
राजा की बात सुनकर मंत्री ने पुनः अपने हाथ जोड़ते हुए कहा, नहीं महाराज! मैं अपनी सजा से बचना नहीं चाहता। मैं तो केवल यह चाहता हूँ कि आप मुझे केवल दस दिनों की मोहलत दे दीजिये, जिससे मैं अपने परिवार के लिए अपने बचे हुए अधूरे कार्यो को पूरा कर…..
यह कहते कहते वह रुक गया, और उसने अपना सर झुका लिया। राजा ने उसकी ओर देखा और दयालुता दिखाते हुए उससे कहा,  ठीक है हम तुम्हे दस दिनों की मोहलत देते हैं। यह कहते हुए राजा अपनी गद्दी छोड़कर चले गए। दस दिनों के लिए दरबार भंग कर दिया गया।
दस दिन बीत गए। राजा का दरबार पुनः लगा। मंत्री को राजा के सामने लाया गया। राजा ने एक बार मंत्री की ओर देखा और फिर अपने सैनिको से मंत्री को खूंखार कुत्तो के सामने फेकने का इशारा किया।
सैनिको ने राजा का इशारा मिलते ही मंत्री को ले जाकर कुत्तो के बाड़े में फेंक दिया।
परंतु यह क्या हुआ ? सभी कुत्ते मंत्री पर टूट पड़ने की बजाए उसके आगे पीछे अपनी पूँछ हिला हिला कर घूम रहे थे। यह सब देखकर राजा की आँखे खुली की खुली रह गयी। राजा की समझ नहीं रहा था, कि यह क्या हो रहा है।
राजा अपनी गद्दी से उठा और दहाड़ते हुए बोलो, यह सब क्या हो रहा हैं। ये खूंखार कुत्ते मंत्री के साथ इस तरह का व्यवहार क्या कर रहे हैं?”
राजा की बात सुनकर मंत्री बोला, महाराज आपने जो मुझे दस दिनों की मोहलत दी थी। उन दस दिनों का एक एक क्षण मैने इन बेजुबानों जानवरो की सेवा लगाया हैं। मैं दस दिनों तक रोज इन्हे खिलाया पिलाया और इनकी सेवा की हैं। केवल यही कारण हैं, कि यह मुझपर टूट पड़ने की बजाए अपनी पूँछ हिला-हिला कर मेरे आगे-पीछे घूम रहे हैं। ये कुत्ते खूंख्वार और जंगली होकर भी मेरी दस दिनों की सेवा नहीं भुला पा रहे हैं। परन्तु मुझे खेद है, कि आप मेरी एक छोटी सी गलती पर मेरी 10 वर्षों की स्वामी भक्ति को भूल गए और मुझे मौत की सजा सुना दी।
मंत्री की बात सुनकर राजा को खुद पर शर्म महसूस हुयी, और अपनी गलती का अहसास हुआ। राजा ने मंत्री को तुरन्त आजाद करने का हुक्म दे दिया, और आगे से ऐसा करने की कसम ली।

वह राजा तो पश्चाताप करके और क्षमाशील बनके दुनिया में अपना यश पैदा करके चला गया, परन्तु वह आज भी हमारी ओर देख रहा है, और हमसे भी इसी प्रकार क्षमाशील होने की उम्मीद कर रहा है। आइए, आज हम भी खुद से प्रण करें कि हम भी किसी की हज़ार अच्छाइयों को उसकी एक बुराई के सामने छोटा नहीं होने देंगे और किसी की एक छोटी सी गलती के लिए उसे उस राजा की तरह इतनी बड़ी सजा नहीं देंगे।


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