Sunday, July 31, 2016

बिटिया

बिटिया

अशोक भाई ने घर मेँ पैर रखा….‘अरी सुनती हो !’आवाज सुनते ही अशोक भाई की पत्नी हाथ मेँ पानी का गिलास लेकर बाहर आयी और बोली “अपनी बिटिया का रिश्ता आया है, अच्छा भला इज्जतदार सुखी परिवार है, लडके का नाम युवराज है । बैँक मे काम करता है। बस बिटिया हाँ कह दे तो सगाई कर देते है.”

बिटिया उनकी एकमात्र लडकी थी..घर मेँ हमेशा आनंद का वातावरण रहता था । कभी कभार अशोक भाई सिगरेट व पान मसाले के कारण उनकी पत्नी और बिटिया के साथ कहा सुनी हो जाती लेकिन अशोक भाई मजाक मेँ निकाल देते ।बिटिया खूब समझदार और संस्कारी थी । टयुशन, सिलाई काम करके पिता की मदद करने की कोशिश करती । अब तो बिटिया ग्रज्येएट हो गई थी और नोकरी भी करती थी , लेकिन अशोक भाई उसकी पगार मेँ से एक रुपया भी नही लेते थे… और रोज कहते ‘बेटी यह पगार तेरे पास रख तेरे भविष्य मेँ तेरे काम आयेगी ।’

दोनो घरो की सहमति से बिटिया और युवराज की सगाई कर दी गई और शादी का मुहूर्त भी निकलवा दिया. अब शादी के 15 दिन और बाकी थे.

अशोक भाई ने बिटिया को पास मेँ बिठाया और कहा- ” बेटा तेरे ससुर से मेरी बात हुई…उन्होने कहा दहेज मेँ कुछ नही लेँगे, ना रुपये, ना गहने और ना ही कोई चीज । तो बेटा तेरे शादी के लिए मेँने कुछ रुपये जमा किए है। यह दो लाख रुपये मैँ तुझे देता हूँ।.. तेरे भविष्य मेँ काम आयेगे, तू तेरे खाते मे जमा करवा देना.’“जी पापा” –बिटिया ने छोटा सा जवाब देकर अपने रुम मेँ चली गई.

समय को जाते कहाँ देर लगती है ?शुभ दिन बारात आंगन में आयी, पंडितजी ने चंवरी मेँ विवाह विधि शुरु की। फेरे फिरने का समय आया…. कोयल जैसे कुहुकी हो ऐसे बिटिया दो शब्दो मेँ बोली “रुको पडिण्त जी ।

मुझे आप सब की उपस्तिथि मेँ मेरे पापा के साथ बात करनी है,” “पापा आप ने मुझे लाड प्यार से बडा किया, पढाया, लिखाया खूब प्रेम दिया इसका कर्ज तो चुका सकती नही… लेकिन युवराज और मेरे ससुर जी की सहमति से आपने दिया दो लाख रुपये का चेक मैँ वापस देती हूँ। इन रुपयों से मेरी शादी के लिए लिये हुए उधार वापस दे देना और दूसरा चेक तीन लाख जो मेने अपनी पगार मेँ से बचत की है… जब आप रिटायर होगेँ तब आपके काम आयेगेँ, मैँ नही चाहती कि आप को बुढापे मेँ आपको किसी के आगे हाथ फैलाना पडे ! अगर मैँ आपका लडका होता तब भी इतना तो करता ना ? !!! ”

वहाँ पर सभी की नजर बिटिया पर थी… “पापा अब मैं आपसे जो दहेज मेँ मांगू वो दोगे ?” अशोक भाई भारी आवाज मेँ -“हां बेटा”, इतना ही बोल सके । “तो पापा मुझे वचन दो” आज के बाद सिगरेट के हाथ नही लगाओगे…. तबांकु, पान-मसाले का व्यसन आज से छोड दोगे। सब की मोजुदगी मेँ दहेज मेँ बस इतना ही मांगती हूँ ।.”
लडकी का बाप मना कैसे करता ?

शादी मे लडकी की विदाई समय कन्या पक्ष को रोते देखा होगा लेकिन आज तो बारातियो कि आँखो मेँ आँसुओ कि धारा निकल चुकी थी। मैँ दूर बिटिया को लक्ष्मी रुप मे देख रही थी…. शगन का लिफाफा मैं अपनी पर्स से नही निकाल पा रही था….साक्षात लक्ष्मी को मैं कैसे लक्ष्मी दूं ??

लेकिन एक सवाल मेरे मन मेँ जरुर उठा, “भ्रूण हत्या करने वाले लोगो को इस जैसी लक्ष्मी मिलेगी क्या” ???

कृपया आंसू पोछिए और प्रेरणा लीजिये। बेटी होना सौभाग्य की बात है....:बेटियां हर घर मै कहाँ होती हैं, ईश्वर का जिस घर पे हाथ हो, बस वहां होती हैं "..


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