Sunday, July 24, 2016

एक लोटा दूध

पुराने समय की बात है, एक बार एक अमीर सेठ के गाँव में सूखा पड़ गया। चारो तरफ पानी की कमी हो गयी और लोगो में हाहाकार मच गया। लोग पानी की कमी के कारण मरने लगे। गाँव में केवल सेठ ही अमीर और पढ़ालिखा था। लोगों ने उससे इस समस्या के समाधान के लिए विनती की। सेठ ने सूखे को रोकने और गाँव में बारिश हो जाये इसके लिए कई उपाय कराये, परन्तु कोई भी उपाय सफल ना हुआ। गाँव में सूखे की समस्या पहले की तरह बनी रही।
गाँव के लोगो को अब कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा था। वे दुखी हो गए और हाथ जोड़कर भगवान से प्रार्थना करने लगे। तभी वहाँ भगवान का एक दूत प्रकट हुआ, और उसने गाँव के लोगो से कहा, अगर आज रात गाँव के प्रत्येक घर से एक लोटा दूध गाँव के बाहर स्थित सूखे कुए में कुएं के अन्दर देखे बिना में डाल दिया जायेगा, तो कल से ही आपके गाँव में सूखे की समस्या समाप्त हो जाएगी, और खूब बारिश होगी। यह कहकर दूत गायब हो गया।
गाँव के लोग यह बात जानकर खुश हुए, और उन्होंने सभी से कुँए में एक लोटा दूध डालने के लिए निवदेन किया। सभी दूध डालने को तैयार हो गए।
रात को जब गाँव के सभी लोगो को कुएँ में दूध डालना था, तब गाँव की एक कंजूस औरत ने सोचा कि गाँव के सभी लोग उस कुए में दूध डालेंगे, अगर वह अकेली कुँए में एक लोटा पानी का डाल देगी तो किसी को भी पता नहीं चलेगा, कि कुँए में एक लोटा पानी डाला गया है। यह सोचकर उस चालाक और बहुत ही कंजूस औरत ने रात में चोरीछिपे गाँव के बाहर जाकर उस कुए में एक लोटा दूध डाल दिया। अगली सुबह लोगो ने देखा कि अभी भी गाँव में सूखा पड़ा हुआ है, और गाँव के लोग पहले की तरह पानी की कमी के कारण मर रहे हैं। सबकुछ पहले जैसा था, और बारिश आने के कोई आसार नजर नहीं आ रहे थे।
लोगो ने इस बात का कारण जानना चाहा, इसके लिए वे गाँव के बाहर कुएँ में देखने गए, जब उन्होंने कुएँ में झांककर देखा तो सभी हैरान रह गए। सारा कुंआ केवल पानी से भरा हुआ था, उसमे एक भी बूँद दूध नहीं था। सभी को समझ आ गया था, कि सूखे की समस्या अभी तक समाप्त क्यों नहीं हुई।
दोस्तों ऐसा इसलिये हुआ था, क्योंकि जो बात उस औरत के दिमाग में आयी थी, वही बात औरो के दिमाग में भी आयी थी। जिस प्रकार सभी एक लोटा दूध डालेंगे तो उसके एक लोटा पानी डालने पर किसी को पता नहीं चलेगा, वही बात दूसरे लोगो ने भी सोची थी, और दूध की जगह एक लोटा पानी कुएँ में डाल दिया था।
जो कुछ इस कहानी में हुआ, आजकल वह सब हमारे जीवन में होना सामान्य बात है। जब भी कोई ऐसा काम सामने आता है, जिसे बहुत सारे लोगो को मिलकर करना होता है, तो हम यह सोचकर उस काम से भागने लगते हैं, कि हम नहीं करेंगे तो क्या हुआ, इतने सरे लोग हैं कोई और कर लेगा।
हमारी इसी सोच के कारण वह काम होता नहीं हैं, और परीस्थितियां पहले के जैसी ही बनी रहती हैं। क्यूंकि दूसरा कर लेगा यह सोचकर जैसे हम उस काम को नहीं करते वैसे ही दूसरे लोग भी यही सोचते हैं। अगर हम दूसरे लोगो पर अपने काम की जिम्मेदारी डाले बिना, अपने काम को पूरी ईमानदारी और महेनत से करे तो हम खुद में और समाज में वो बदलाव ला सकते हैं, जो हम दूसरे बदल जाये ये सोच कर लाना चाहते हैं।

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